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माहताब

माहताब
वो हॅंसते हैं तो लगता है हॅंसता हुआ गुलाब,
चर्चा है चमन में कि हॅंसी का नहीं जबाब।
दिल ले गये मेरा इसका किसे मलाल,
सुकू है खिल गया है मेरा अमावस में माहताब।
मैं तो मॉंगता हू मालिक से यही दुआ,
सलामत रहे वो और महकता रहे षबाब,
हमसे गिला उन्हैं कि हम खत देते नहीं कभी,
हमको ये षिकायत है कि वो देते नहीं जबाब।
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दिलबागसिंह विर्क  – (25 March 2011 at 09:02)  

दिल ले गये मेरा इसका किसे मलाल,
सुकू है खिल गया है मेरा अमावस में माहताब।
bahut khoob

S.N SHUKLA  – (13 August 2011 at 03:47)  

bahut khoobsoorat prastuti

.
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता पर्वों की शुभकामनाएं स्वीकार करें .

Tamasha-E-Zindagi  – (29 May 2013 at 07:31)  
This comment has been removed by the author.

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