माहताब
माहताब
वो हॅंसते हैं तो लगता है हॅंसता हुआ गुलाब,
चर्चा है चमन में कि हॅंसी का नहीं जबाब।
दिल ले गये मेरा इसका किसे मलाल,
सुकू है खिल गया है मेरा अमावस में माहताब।
मैं तो मॉंगता हू मालिक से यही दुआ,
सलामत रहे वो और महकता रहे षबाब,
हमसे गिला उन्हैं कि हम खत देते नहीं कभी,
हमको ये षिकायत है कि वो देते नहीं जबाब।
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दिल ले गये मेरा इसका किसे मलाल,
सुकू है खिल गया है मेरा अमावस में माहताब।
bahut khoob
bahut khoobsoorat prastuti
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रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता पर्वों की शुभकामनाएं स्वीकार करें .